Anulom Vilom Benefits In Hindi ऑक्सीजन की कमी को पूरा करे अनुलोम विलोम प्राणायाम जानिए विधि और फायदे
ऑक्सीजन की कमी को पूरा करे अनुलोम विलोम प्राणायाम जानिए विधि और फायदे
आपने कई बार अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे में सुना होगा देखा भी होगा । पर क्या आप जानते है की इस प्राणायाम को करने से यह हमारे शरीर को अनेको लाभ पहुँचता है । हम सभी यह जानते है की योग और प्राणायाम की उत्पत्ति अति प्राचीन है । प्राचीन काल में ऋषि मुनि अपने शरीर को प्राणायाम के द्वारा ही स्वस्थ ,निरोगी और शक्तिशाली बनाये रखते थे । आज के इस लेख में हम अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे में विस्तार से जानेगे और साथ ही महत्वपूर्ण टिप्स भी बताएंगे ।
अनुलोम विलोम क्या है - Anulom Vilom In Hindi
अनुलोम विलोम मुख्यतः सांसो पर केंद्रित प्राणायाम है।अनुलोम का अर्थ सीधा और विलोम का अर्थ उल्टा होता है । प्राणायाम एक संस्कृत शब्द है प्राण का अर्थ सांस और आयम का अर्थ लेना और छोड़ना है।अनुलोम विलोम में नाक के दाये छिद्र से सांस खींचते है तो बाईं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है।इसी तरह इस प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है । इस प्राणायाम में सबसे महत्वपूर्ण स्वसन क्रिया है । और यह प्राण या जीवन शक्ति को नियंत्रित करने का स्त्रोत है । जब हम इस प्रक्रिया को कई बार दोहराते है । तो हमारे शरीर में अतिरिक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। जिससे शरीर में रक्त संचार अच्छा होता है । जो गंभीर बीमारियों के इलाज में बहुत ही कारगर है । यह तनाव ,नीद में कमी ,अवसाद ( डिप्रेशन) को कम करता है । साथ ही ह्रदय ,फेफड़ो शरीर के अन्य अंगो को भी लाभ पहुँचाता है। इस प्राणायाम को करने के अनेको फायदे है लेकिन यह तभी लाभ पहुँचाता है ।जब हम इसे सही विधि के द्वारा करे बहुत से लोग इसे करते तो है पर उनको इस प्राणायाम की सही विधि की जानकारी न होने के कारण उनको उचित लाभ नहीं मिल पाता है ।आइये जानते है इस प्राणायाम को करने का कारण और इसे करने का उचित समय ।अनुलोम विलोम क्यों किया जाता है -कारण Why Is Anulom Vilom Done
प्रतिदिन 5 से 10 मिनट प्राणायाम करने से आपको खुशी, शांति ,नई ऊर्जा मिलती है। यह तनाव और थकान को दूर करता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम हमे ध्यान के लिए तैयार करता है।अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का उचित समय Right Time To Do Anulom Vilom
अनुलोम विलोम क्या है ? यह क्यों किया जाता है ? यह जान लेने के बाद आइये जानते है इसे करने का उचित समय कौन सा होना चाहिए । वैसे तो योग और प्राणायाम के लिए ब्रह्म मुहूर्त यानि की सुबह का समय उपयुक्त होता है । सुबह जब हम सो कर जागते है तो हमारा शरीर मन एकदम तरोताज़ा होता है । सुबह के वातावरण में शांति और ताजगी होती है । परन्तु कुछ लोगो के पास सुबह समय नहीं होता।तो आप शाम को भी यह प्राणायाम कर सकते है ।अनुलोम विलोम करने की विधि Anulom Vilom Steps In Hindi
1. सबसे पहले योग मैट या आसन पर पद्मासन, सुखासन या चौकड़ी मार कर बैठ जाये ।
2. ध्यान रहे बैठते समय आपकी रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी होनी चाहिए ।
3. अनुलोम विलोम करने के लिए दाये हाथ के अंगूठे और हाथ मध्य उंगली का प्रयोग करे ।
4. इस आसन को सामान्यतः नीचे बैठकर करते है यदि कोई समस्या है और आप ज़मीन पर नहीं बैठ सकते है तो आप इस आसन को कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते है ।
5. अब अपनी दोनों आंखे बंद कर ले। लम्बी गहरी सांस लेकर छोड़े और मन को एकाग्रचित करे ।
6. दाहिने हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करे और बाई नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस ले ।
7. ध्यान रहे जब भी आप साँस लेते है तो धीरे -धीरे और गहरी सांस ले और छोड़ते समय भी सांस की गति वैसी ही होनी चाहिए जैसे की लेते समय थी झटके से सांस न छोड़े ।
8. आप begginers है तो आराम - आराम से करे जल्दबाजी न करे ।
9. जब आप दाहिने हाथ का प्रयोग कर रहे है तो आपका बायां हाथ बायें घुटने पर चित्त मुद्रा में रहे ।
10. अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाईं नासिका को बंद करे और दाई नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे - धीरे सांस छोड़े ।
11. पुनः दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करे और बाईं नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे - धीरे सांस छोड़े ।
12. इस प्राणायाम को प्रतिदिन नियम से करने पर यह आपको अनेको को लाभ पहुँचाता है।
13. अनुलोम विलोम को 1 मिनट से शुरू करके 5 से 10 मिनट तक कर सकते है । असाध्य रोगो में 30 मिनट से लेकर आप दिनभर जब भी आपको समय मिले यह प्राणायाम किया जा सकता है ।
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अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे - Anulom vilom Pranayama Benefits In Hindi
आइये जानते है की अनुलोम विलोम प्राणायाम से हमे कौन से लाभ मिलते है । और यह किस तरह हमारे शरीर को रोग मुक्त करता है ।1. अवसाद ( डिप्रेस्शन ) , तनाव को खत्म करता है ।
अनुलोम विलोम एक ऐसा प्राणायाम है जिसे प्रतिदिन करने पर यह आपको निश्चित लाभ प्रदान करता है । जब हम अनुलोम विलोम प्राणायाम पूरे ध्यान के साथ करते है तो यह हमारे मन में चल रहे तनाव ,चिंता ,अवसाद को भी ख़त्म करने में सहायक होता है । इस प्राणायाम से जो ऊर्जा निकलती है वह हमारे तन और मन दोनों को शुद्ध करती है ।
2. ह्रदय को स्वस्थ्य रखता है
अनुलोम विलोम प्राणायाम ह्रदय के ब्लॉकेज को ख़त्म करता है । साथ ही हाई ब्लड प्रेशर जैसे हृदय रोग के जोखिम को कम करता है । यह प्राणायाम करने से ह्रदय की शक्ति बढ़ती है क्योकि हमारे शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है । जिससे हार्ट अटैक की सम्भावना बहुत कम होती है ।
3. साइनस रोग में लाभकारी
आमतौर पर लोगो में साइनस की समस्या अधिक देखी जाती है। और इसका कोई इलाज नहीं है । साइनस के रोगी को हमेशा ज़ुकाम बना रहता है और एक नोस्ट्रिल हमेशा ब्लॉक रहती है । सांस लेने में दिक्कत आती है । कफ बहुत ज़्यादा रहता है । अनुलोम विलोम प्राणायाम करने पर साइनस की समस्या धीरे - धीरे ख़त्म हो जाती है । यह इम्युनिटी को भी मजबूत करता है और समान्य सर्दी , खासी जैसे वायरस से भी बचाता है ।
4. पाचन तंत्र में सुधार करता है ।
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से यह हमारे पाचन तंत्र में सुधार करता है । जिससे हमे एसिडिटी ,गैस की समस्या नहीं होती भूख अच्छी लगती है । खाना अच्छी तरह से पचता है । प्राणायाम हमारे शरीर में रक्त संचार को सही रखता है । साथ ही साथ शरीर से सुस्ती को दूर करके नई स्फ़ूर्ति ,ऊर्जा प्रदान करता है। प्रतिदिन इसका अभ्यास करने पर यह हमारे पेट के संक्रमण , कब्ज़ की समस्या को दूर करता है । व वजन घटने और मोटापा दूर करने में भी मदद करता है ।
5. ब्लड प्रेशर को सही रखता है ।
दिमाग को स्थिर बनाये रखने और शरीर के अंगो को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए रक्त संचार का सही होना बेहद जरुरी है ।अनुलोम विलोम प्राणायाम ब्लड प्रेशर को सही बनाये रखता है । और पूरे शरीर की नाडियो को शुद्ध करता है । जिससे हमे बहुत अच्छा महसूस होता है । थकान भी नहीं होती है ।
6. मधुमेह की समस्या में आराम दिलाता है ।
अध्ययनो में पाया गया है की अनुलोम विलोम प्राणायाम मधुमेह के रोग में अत्यधिक लाभ पहुँचाता है । मधुमेह के मरीज़ प्राणायाम का अभ्यास करे तो उन्हें कुछ ही दिनों में मधुमेह से छुटकारा मिल जाता है । उनका इन्सुलिन भी बंद हो जाता है और उन्हें तम्र दवाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है ।
7. माइग्रेन
यह एक प्रकार का सिरदर्द है जो पूरे सिर या आधे सिर में होता है । यह दर्द बहुत ही असहनीय होता है । इसका कोई कारगर इलाज नहीं है । माइग्रेन लम्बे समय तक रहने वाला रोग है । यह चिंता ,तनाव की वजह से अधिक होता है । एक ऐसा प्राणायाम है जिससे माइग्रेन के दर्द में राहत मिलती है ब्रीथिंग एक्ससरसाइज से चिंता व तनाव दूऱ होता है । जिससे माइग्रेन पर नियंत्रण पाया जा सकता है ।
8. त्वचा में दमक लाता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास जब हम करते है। तो इसके द्वारा हमारे शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है । जब हम सामान्य साँस लेते है तो बहुत कम यानि की लगभग 20 %ऑक्सीजन ही हमारे भीतर जाती है । और जब हम अनुलोम विलोम प्राणायाम करते है तो यह 80 से 90 % प्रतिशत तक शरीर के भीतर जाती है । जब ऑक्सीजन की पूर्ति शरीर में अच्छी होगी तो शरीर के अंग ,त्वचा ,बाल भी अच्छे होंगे त्वचा में और निखार आता है । त्वचा पहले से दमकने लगती है रंगत खिली - खिली दिखती है ।
9. शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकलता है ।
अनुलोम विलोम प्राणायम हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालने में भी सहायक है । यह बॉडी को डिटॉक्स करता है जिससे हमारा शरीर बहुत ही हल्का ,ऊर्जावान महसूस होता है । शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है ।
10. ऑक्सीजन की पर्याप्त पूर्ति करता है ।
यह प्राणायाम जीवनदायनी है । इसे करने से हमारी नाडिया पूर्णतः शुद्ध होती है । हमे प्राण ऊर्जा पुनः प्राप्त होती है। रक्त परिसंचरण अच्छा होता है क्योकि हमारे शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त पूर्ति होती है जिससे शरीर के सभी अंग सुचारु रूप से कार्य करते है ।
अनुलोम विलोम के लिए कुछ सावधानियां - Some Precautions For Anulom Vilom
1. यदि आप पहली बार यह प्राणायाम करने जा रहे है तो किसी योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही शुरुआत करे ।
2. सही जानकारी इस प्राणायाम के बारे में प्राप्त करे उसके अनुसार ही अभ्यास करे गलत विधि आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल सकती है ।
3. सुबह - सुबह अनुलोम विलोम प्राणायाम करने पर उसका लाभ शाम की तुलना में अधिक मिलता है ।
4. जिनको गंभीर रोग है वह बिना डॉक्टरी परामर्श के इस प्राणायाम को न करे ।
5. इस प्राणायाम में आपको सांसो पर ध्यान देना है । सांसो पर जोर न दे सांस की गति सरल और सहज रखे मुँह से सांस नहीं लेना है । सांस लेते समय किसी प्रकार की आवाज भी नहीं निकालनी है ।
6. यह ध्यान रखे की जब आप सांस लेते है । तो जल्दबाजी न करे धीमी गति से लम्बी और गहरी सांस ले और जब सांसो को छोड़े तब भी धीमी गति से छोड़े झटके के साथ सांस नहीं छोड़ना है ।
निष्कर्ष Conclusion
वर्तमान समय में अधिक से अधिक लोगो को अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है । व इसका अभ्यास करने वालो की संख्या काफ़ी बढ़ गई है और इसकी प्रसिद्धि भी बढ़ गई है । इसका मुख्य कारण है इससे होने वाले इंस्टेंट फायदे । जिसे आप स्वयं यह प्राणायाम करते समय व बाद में महसूस करेंगे ।मैं भी अपने दिन की शुरुआत योग और प्राणायाम से करती हूँ । इसलिए इतने विस्तार से इसके लाभों के बारे में बता पा रही हू । व इस प्राणायाम का परिचय दे पा रही हूँ । इस प्राणायाम को करने के एक नहीं अनेको फायदे है ।FAQ -
प्र0 = अनुलोम विलोम कितनी देर तक करना चाहिए ?उ0= आप 5 से लेकर 10 मिनट तक इसका अभ्यास कर सकते है । और असाध्य रोगों में 30 मिनट से लेकर 1 घंटे तक अनुलोम विलोम प्राणायाम कर सकते है ।
प्र0 = क्या अनुलोम विलोम के बाद पानी पी सकते है ?
उ0 = प्राणायाम या योग करने से कुछ देर पहले आप सादा या गुनगुना पानी पी सकते है । परन्तु तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए ।
प्र0 = क्या मैं डिनर के बाद अनुलोम विलोम कर सकती हूँ ?
उ0 = अनुलोम विलोम प्राणायाम को आप रात का खाना खाने के 20 से 30 मिनट बाद कर सकती है । कपालभाति एक ऐसा प्राणायाम है जो खाली पेट करना अनिवार्य है । अनुलोम विलोम में ऐसा नहीं है ।
प्र0= अनुलोम विलोम करने से शरीर की कितनी नाडिया शुद्ध होती है ?
उ0= जब हम प्रतिदिन अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करते है तो हमारे शरीर की 72 हजार नाडिया स्वस्थ्य व निरोग रहती है ।
प्र0= क्या अनुलोम विलोम 30 मिनट तक है ?
उ0= जी हा अनुलोम विलोम 10 से लेकर 30 मिनट और असाध्य रोगो में 1 घंटे तक किया जा सकता है । यह शोधो में पता चला है ।
प्र0= अनुलोम विलोम का अधिकतम समय कितना होता है ?
उ0= आप यदि निरोगी है बिल्कुल स्वस्थ्य है तो 1 से लेकर 5 मिनट तक उपयुक्त समय है आपके लिए । कोई रोगी है या उसका रोग असाध्य है ( बड़ी बीमारी ) जैसे कैंसर ,लकवा तो 1 घंटे से लेकर दिन भर ( जब भी समय ) मिले तो अनुलोम विलोम प्राणायाम कर सकते है ।
प्र0= अनुलोम विलोम से कौन - कौन से रोग ठीक हो सकते है ?
उ0= यह ह्र्दय सम्बन्धी ,पाचन सम्बन्धी ,तनाव ,अवसाद ,रक्त परिसंचरण अच्छा रहता है ।ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है सर्दी ,ज़ुकाम ,साइनस व दमा जैसे रोगो में अति लाभकारी है ।
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