Yoga In Hindi - योग क्या है लाभ ,प्रकार और उद्देशय

 Yoga In Hindi -  योग क्या है  लाभ ,प्रकार और उद्देशय    

Yoga In Hindi -  योग क्या है  लाभ ,प्रकार और उद्देशय

 

इस लेख को पढ़कर आपको Yoga In Hindi योग क्या है लाभ प्रकार और उद्देश्य इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी आपको मिलेगी 

Yoga In Hindi - योग क्या है हिंदी में 

भाग दौड भरी हमारी ज़िंदगी में हम सभी को बड़ी जल्दी है৷ और इसी जल्दी में बहुत से लोग अपने  स्वास्थ्य को नज़रअन्दाज़ कर देते है ৷ केवल काम ही करते है परन्तु यह सही नहीं है ৷ जीवन जीने के लिए जितना जरुरी कार्य करना है उतना ही जरुरी 30  मिनट व्यायाम वाला फार्मूला अपनाना भी जरुरी है ৷ इन 30 मिनट में आप अपने स्वास्थ्य के लिए योग कर सकते है ৷ और अपने तन मन को स्वस्थ्य ,सेहतमंद रख सकते है৷   इस लेख में मैं आपको Yoga In Hindi योग क्या है लाभ प्रकार और उद्देश्य के बारे में बताउंगी जिससे आपको पर्याप्त लाभ मिले|

योग क्या है? - What Is Yoga In Hindi  

योग शब्द एक संस्कृत शब्द है जो युज धातु से आया है जिसका अर्थ है इकठ्ठा  होना या बाधना है ৷ जिसका अर्थ है योग ऐसे  प्राचीन  विज्ञान पर आधरित शारीरिक ,मानसिक क्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य का मस्तिष्क ,शरीर और आत्मा एक साथ आते है৷ अर्थात एक लय में संयोजित (जुड़ना ) होते है ৷यह जीवन को सही तरीके से जीने में हमारी मदद करता है इसमें शरीर की लचीलता और सांस लेने की प्रक्रिया पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाता है৷ योग मुख्य रूप से आसन और सांस लेने की विशेष तकनीक पर आधरित है৷ योग के आसनो को योगासन कहा जाता है इनमे कुछ विशेष शरीरिक मुद्राये होती है ৷आसन और मुद्राओ के द्वारा नियमित रूप से अभ्यास करने पर शरीर की मांसपेशीयो में लचीलापन और शक्ति आती है ৷ शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति होती है,पाचन तंत्र बेहतर होता है, मनुष्य का मन शांत एवं एकाग्रचित होता है ৷  

Yoga In Hindi -  योग क्या है  लाभ ,प्रकार और उद्देशय


        भारतीय दर्शन में योग विद्या का महत्वपूर्ण स्थान है ৷यह विद्या सभी विद्याओ से सर्वोपरि है व विशेष स्थान रखती है ৷योग विद्या से सम्बंधित ज्ञान सभी भारतीय ग्रंथो में अनेक स्थानों पर देखने को मिलता है৷ वेद, पुराण , उपनिषद , श्रीमदभगवत गीता आदि प्रचीन ग्रंथो में योग विद्या विधमान है ৷ 

योग का उद्देश्य - Aim Of Yoga In Hindi  




Yoga In Hindi -  योग क्या है  लाभ ,प्रकार और उद्देशय


योग का उद्देश्य हमारे जीवन का सर्वागीण विकास करना है ৷ योग से न केवल शारीरिक ,मानसिक नैतिक ,आध्यात्मिक व सामाजिक विकास होता है ৷ योग शारीरिक एवं मानसिक निरोगता ,कुविचारों ,कुसंस्कारो को दूर करता है अच्छे संस्कारो के द्वारा एक कुशल व्यक्तिव  का निर्माण करता है৷ जो व्यक्ति योग करते है वह साधरण मनुष्यो की तुलना में कही अधिक उत्कृष्ट  व समर्थ होते है ऐसे व्यक्तियो की कार्य क्षमता उच्च स्तर की होती है ৷  

भारत में योग -  

भारत में योग की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ( international yoga day ) के रूप में सबसे पहले 21 जून 2015 को हुई ৷ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त महासभा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मानाने का प्रस्ताव रखा और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया ৷ पहली बार 21 जून 2015 को विश्व योग दिवस मनाया गया ৷ 



       इस दिन करीब 35 हजार से ज़्यादा लोगो ने दिल्ली के राजपथ पर योगासन किया ৷ अब सवाल यह भी है की 21 जून को ही योग दिवस क्यों मनाया जाता है 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लम्बा दिन होता है৷ इसी दिन सूर्य दक्षिणायन होता है৷ जब सूर्य दक्षिणायन होता है यह समय आध्यात्मिक सीध्दिया प्राप्त करने के लिए अच्छा होता है৷ इसलिए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा ৷ 

योग के लाभ - Benefits Of Yoga In Hindi  

योग हमारे शरीर को कई प्रकार से लाभ पहुँचता है ৷अर्थात योग करने से हमे शरीरिक ,मानसिक ,आंतरिक ,बौद्धिक अनेक लाभ पहुँचता है৷ योग के लाभ अत्यंत ही प्रभावी होते है जहाँ पर आधुनिक उपचार सफल नहीं हो पाते है ৷वहा योग ने यह कार्य करके  दिखाया है योग और आयुर्वेद के द्वारा बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी परेशनियो का सिद्ध इलाज है कैंसर ,ग्लूकोमा,थायरॉइड,अस्थमा,मधुमेह,उच्चरक्तचाप ,पाचन सम्बन्धी समस्या ,बांझपन, मोटापा जैसी न जाने कितनी ही बीमारियों का इलाज योग के द्वारा संभव हुआ है ৷ चिकित्सा वैज्ञानिको के अनुसार ,योग चिकित्सा तंत्रिका और अन्तः स्त्रावी तंत्र में बनाये गए संतुलन के कारण सफल होती है৷ जो शरीर के अंगों को सीधे प्रभावित करती है योग गलत खान - पान ,व्यायाम न करना ,ज्यादा खाना,जंक फ़ूड खाना इन सबके बुरे प्रभावों को दूर करता है৷ 

जब आप स्वयं योग करते है तब आपको स्वयं महसूस होगा की धीरे -धीरे आपका शरीर परिवर्तित हो रहा है ৷इसके लाभ आपको नियमित योग करके ही प्राप्त होंगे इसलिए हर व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट योग करना ही चाहिए ৷ 


योग के नियम -  Law Of Yog In Hindi 

  1. योग किसी खुली जगह पर करे  ৷ 
  2. शांत एवं स्वच्छ वातावरण होना चाहिए  ৷ 
  3. योग से पहले पेट साफ़ होना चाहिए पेट साफ़ नहीं होगा तो योग का पूर्ण लाभ नहीं मिलेगा ৷  
  4. साफ़ - ढीले सूती वस्त्र पहने ৷  
  5. सूर्योदय या सूर्यास्त के वक्त योग करे ৷  
  6. योग खली पेट करना चाहिए ৷  
  7. योग करने से पहले सूक्ष्म व्यायाम और प्राणायाम जरूर करे ৷  
  8. योग अभ्यास करते समय ध्यान केवल योग पर केंद्रित करे ৷  
  9. किसी भी आसन को कम से कम 1 मिनट तक अवश्य करे तभी इसका लाभ मिलेगा  ৷ 
  10. शरीर के साथ जबरदस्ती न करे जितना हो सके उतना ही करे৷ 
  11. प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट योग जरूर करे  ৷ 
  12. अगर कोई नस खींच जाये या दर्द ज़्यादा हो तो तुरंत योग करना बंद कर दे ৷   
  13. योग अभ्यास धैर्य और द्रणता के साथ करे  ৷ 
  14. जब भी पद्मासन में बैठे ॐ का ध्यान सदैव करना चाहिए इससे मन एकाग्रचित होता है  ৷ 
  15. योग करते समय नकारात्मक विचारो को मन से निकल देना चाहिए ৷  
  16. योगासन करते समय अपनी सांसो पर विशेष ध्यान देना चाहिए  ৷ 
  17. योग के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए  ৷ 
  18. यदि आप बीमार है तो योग नहीं करना चाहिए  ৷ 
  19. आपको यदि किसी ख़ास आंग में परेशानी हो तो प्रशिक्षक के निर्देशानुसार योग करना चाहिए  ৷ 
  20. योग के अंत में शवासन जरूर करना चाहिए ৷ 

योग के प्रकार -  Types Of Yoga In Hindi  

योग के मुख्य चार प्रकार होते है राज योग ,कर्म योग ,भक्ति योग और ज्ञान योग इन्हे हम एक - एक करके जानेंगे ৷   

राज योग -   

राज योग यानि राजसी योग  इसमें  ध्यान महत्वपूर्ण है ৷इसके आठ अंग है इनमे यम ( शपथ ),नियम (आचरण ,अनुशासन ),आसन ( मुद्राये ), प्रणायाम (श्वास ,नियंत्रण ),प्रत्याहार ( इन्द्रियों का नियंत्रण ), धारण ( एकाग्रचित ), ध्यान (मेडिटेशन ), और समाधि (परमानन्द या अंतिम मुक्ति ) राजयोग को अन्य रूपों की तुलना में अधिक अनुशासन और नियंत्रण की आवश्यकता होती है ৷राज योग मन और शरीर की एकाग्रता ,ध्यान और अनुशासन पर केंद्रित है इसलिए इसे पतंजलि अष्टांग योग भी कहा जाता है৷   

कर्म योग -  

कर्म योग अर्थात कर्म के माध्यम से योग (जीवात्मा का परमात्मा से मिलन ) को फलीभूत करने को कहते है कर्म शब्द 'कृ ' धातु से निकलता है  'कृ ' धातु का अर्थ है करना  अतः कर्मयोग में कर्म शब्द का अभिप्राय कार्य है 

               कर्म करना ही मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति है कर्म के बिना मनुष्य का जीवित रहना संभव नहीं है৷ क्योकि मनुष्य की प्रकृति ही जन्म से कर्म करने के लिए बाध्य होती है इसी प्रकृति  के द्वारा मनुष्य अच्छा या बुरा कर्म करता है ৷ अच्छा कर्म ,अपना जीवन निस्वार्थ रूप से जीकर दूसरो की सेवा करते है ৷तो हम अपना वर्तमान ,भविष्य अपने कर्मो के द्वारा अच्छा बना सकते है इसे ही कर्म योग कहते है ৷ 

भक्ति योग -  

भगवान के साथ संबंध जोड़ने के कारण  इसे भक्ति योग कहा गया है ৷भक्तियोग की विभिन्न शाखाओ में से एक है इसको सर्वोत्तम मन गया है यह सबसे सरल है भक्ति का अर्थ सेवा या पूजा से है भक्ति योग में किसी न किसी रूप में भगवान को मानना आवश्यक है और उसके प्रेम में डूबकर उसके साथ एक हो जाना ही भक्ति योग का उद्देश्य है ৷  

ज्ञान योग -  

ज्ञान योग व्यक्ति के विवेक को बढ़ाकर उसके मन को शांत करने में मदद करता है ৷इसलिए इसे बुद्धि का योग भी कहते है ৷यह व्यक्ति को बौद्धिक रूप से खुद को समझने और जीवन की सच्चाई को जानने में मदद करता है इस वजह से ज्ञान को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी माना गया है ज्ञान योग व्यक्ति को खुद के व्यक्तित्व को समझने व उसे बेहतर बनाने में मदद करता है ৷स्वामी विवेकानन्द के अनुसार ज्ञान योग धर्म और कर्म का एक मिश्रित रूप है  ৷ 


योग करने का सही समय क्या है ?  What Is The Correct Time To Practice Yoga In HIndi  

योग हमेशा ब्रम्हमुहूर्त काल यानि की प्रातः काल या भोर में 4 से 6 के बीच बिलकुल अनुकूल समय होता है ৷योग करने के लिए इस समय वातावरण में शांति ,ताज़गी होती है৷ मौसम यदि ग्रीष्मकाल का है तो और अधिक उपयुक्त होता है ৷यदि आप ब्रम्हमुहूर्त में नहीं जाग पाते तो आप सुबह के समय और शाम के समय योगाभ्यास कर सकते है ৷ 

योग की शुरुआत के लिए सुझाव - Yoga Tips For Beginners In Hindi   

यदि आप ने योग करने का निश्चय कर लिया और आप योग पहली बार करने जा रहे है तो कुछ ख़ास बातो का ध्यान जरूर रखिये  ৷  

  1. सबसे पहले उपयुक्त समय ,जगह ,वातावरण का चुनाव करे करे ৷  
  2. योग करने से पहले सूक्ष्म व्यायाम के साथ शुरुआत करे सूक्ष्म व्यायाम का भी पर्याप्त लाभ मिलता है ৷यदि इसे प्रतिदिन किया जाये  ৷ 
  3. पहले दिन सूक्ष्म व्यायाम ही करना उपयुक्त रहता है Beginners के लिए ৷  
  4. दूसरे दिन सूक्ष्म व्यायाम करने के बाद थोड़ा प्राणायाम भी अवश्य करे ৷  
  5. धीरे -धीरे सरल आसन की ओर बढे  और नियमित अभ्यास करते रहे ৷  

योगाभ्यास के लिए क्या क्या सावधनियां बरतनी चाहिए ? What Precautions To Take For A Yoga Practic In Hindi ?  

  1. योग कभी भी उलटे - सीधे तरीके से नहीं करना चाहिए ৷हमेशा कुशल योग प्रशिक्षक की देख रेख में करना चाहिए यदि योग प्रशिक्षक नहीं है तो सरल आसन करना चाहिए ৷ 
  2. बच्चो को उनके अनुकूल ही आसन करना चाहिए ৷ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए  ৷ 
  3. कभी भी खाना खा कर योग नहीं करना चाहिए नहीं तो इसका विपरीत असर होता है आपके शरीर पर  
  4. आसन करते -करते थक जाये तो बीच में प्राणायाम कर ले ৷  
  5. कोई नस खींच जाने या दर्द होने पर तुरंत योग रोक दे  ৷ 
  6. गर्भावस्था में डॉक्टर के परामर्श से ही योग करे व सरल आसन करने चाहिए  ৷


योगासनों की सूची - List  Of  Yoga Poses In Hindi  

  1. ताड़ासन   
  2. पादहस्तासन   
  3. त्रिकोणासन   
  4. चक्की आसन   
  5. मत्स्यासन   
  6. सिंहासन   
  7. धनुरासन   
  8. बालासन   
  9. सूर्यनमस्कार   
  10. चक्रासन   
  11. भुजंगासन   
  12. हलासन   
  13. गौमुखासन   
  14. मकरासन   
  15. मरघटासन   
  16. मंडूकासन   
  17. मत्स्येन्द्रासन   
  18. मयूरासन   
  19. पद्मासन   
  20. पश्चिमोत्तरासन   
  21. शलभासन   
  22. सर्वांगासन   
  23. सेतुबंधासन   
  24. शीर्षासन   
  25. सुखासन   
  26. वृक्षासन   
  27. गरुणासन   
  28. उष्ट्रासन   
  29. वज्रासन   
  30. वीरभद्रासन   
  31. शवासन   
  32. मलासन   
  33. ककासन   
  34. अर्ध्चन्द्रासन   
  35. मार्जरीआसन   

निष्कर्ष - यह लेख पढ़कर आपको योग क्या है  What Is Yoga In Hindi के बारे में पता चल गया होगा ৷ यह मेरे अनुभवों पर आधारित  है योग क्या है मैंने इस लेख में अधिक से अधिक उपयुक्त जानकारी देने की कोशिश की है ৷आपको यह लेख पसंद आये तो कमेंट जरूर करे  ৷  

 FAQ -

1.   योग क्या है योग के प्रकार ?

ans -योग शब्द संस्कृत शब्द युज से आया है जिसका अर्थ है इकट्ठा होना या बांधना︱योग एक ऐसी प्राचीन विज्ञानं परआधारित क्रिया है︱जिसके द्वारा मनुष्य की आत्मा ,शरीर और मष्तिष्क एक साथ होते है मुख्यतः योग चार प्रकार के होते है - राजयोग , कर्मयोग ,भक्तियोग ,ज्ञानयोग ︱

2 .  योग का पिता कौन है ?

ans -महर्षि पतंजलि को योग का पिता या जनक कहा जाता है ︱

3 . योग के कितने अंग है ?

ans-योग के आठ अंग होते है यम ,नियम ,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धरणा,ध्यान,समाधि इसे अष्टांग योग भी कहते है ︳ 

  

  

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